उसके खत का इंतजार है
दिल में दबे जज्बातों को
लिखते - लिखते ही रह गई
सोचा तो बहुत कि खत लिखूं
लेकिन अनपढ़ ही रह गई ।
लब्ज सजे तो नहीं खत में
जज्बातों को उकेर भी
नहीं पाई कोरे कागजों में
ऑंसूओं में लिपटी भावनाएं
ऑंखों में ही रह गई ।
साथ नहीं है हमारा
किस्मत की लकीरों में
हाल -ए -दिल कैसे बयां कर देते
खतों के सुनहरे अल्फाजों में ।
एहसासों का लफ्ज़ खतों में
हजार बार लिखती ही रह गई
कोरे कागजों को मरोड़ कर
बार - बार फेंकती ही रह गई ।
जब - जब दिल को
समझाने की बारी आई है
इन ऑंखों में उसके खत का
इंतजार है कहती ही रह गई ।
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💓
# नाॅन स्टाॅप २०२२
# कविता
Shnaya
11-Sep-2022 06:44 PM
बहुत खूब
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नंदिता राय
05-Sep-2022 02:35 PM
शानदार
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शताक्षी शर्मा
28-Aug-2022 11:24 AM
Bahut khub
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